बोझ – हिंदी कहानी | Bojh Hindi Kahani

98
0
बोझ - हिंदी कहानी | Hindi Story | Stories | कहानियां | Bojh Hindi Kahani | मैं हारा थका बेमन सा आज ऑफिस से घर आया ही था की मेरी नजर सामने

बोझ – हिंदी कहानी | Hindi Story | Stories | कहानियां | Bojh Hindi Kahani

बोझ – हिंदी कहानी | Hindi Story | Stories | कहानियां | Bojh Hindi Kahani – मैं हारा थका बेमन सा आज ऑफिस से घर आया ही था की मेरी नजर सामने किचन से आती मेरी पत्नी पर पड़ी , वो देखने से ही काफी उखड़ी उखड़ी लग रही थी !! उसकी मनोदशा देखते ही मैं समझ गया था की जरूर ही कोई तो बात है , इसलिए मिनाक्षी इतनी रूखी रूखी सी लग रही है !! मैंने हाथ मुँह धोये हुए थे इसलिए मैंने उससे तौलिया माँगा , उसने बिना कुछ बोले मुझे तौलिया ला कर दे दिया !!
मैंने उसे कंधे पर हाथ रखते हुए पूछा ” मिनाक्षी !! क्या बात है आज तुम कुछ उखड़ी उखड़ी सी लग रही हो ? ” तो उसने मुझे खा जाने बाली नजरो से देखा और भड़कते हुए बोली ” आपको क्या है , फिर चाहे बेटी ट्युसन से फीस न देने की बजह से बेज्जत करके भगा दी जाए , या फिर बेटे पर स्कूल ड्रेस के जूते न होने की बजह से उसके स्कूल की फूटबाल टीम में खिलाने से मना कर दिया जाए !! आपको क्या ?? आपको तो बस सुबह 9 बजे जाने और शाम को 8 आने और फिर चद्दर तान के सो जाने के अलावा एक पल की भी चिंता नहीं है , और न मेरा कोई ख्याल डॉक्टर ने पिछले महीने ही दवाई कराने को कहा था , नहीं तो मर्ज कभी भी अपने पैर जरूरत से ज्यादा पसार सकती है !! कभी तुमने ध्यान से देखा है मेरे चेहरे की ओर , ये झुर्रियां , बेउम्र पकते हुए बाल , जवानी में ही बुढ़िया बनती जा रही हूँ , एक पैसे की दवा नहीं नसीब नहीं है मुझे !! , ये सब तो छोडो , गर्मी में बच्चे तपते रहते है , एक पुराना कूलर लेने तक की हिम्मत नहीं हो रही है तुम्हारी !! “

बोझ – हिंदी कहानी | Hindi Story | Stories | कहानियां | Bojh Kahani

मैं बैड पर बैठा नजरे झुकाये अपनी नाकामी पर शर्मशार हो रहा था , बीवी बच्चो की परिबरीश और उनकी जरूरतों का ध्यान रखना मेरा कर्तव्य है पर क्या करू ?? ये मेरा दुर्भाग्य ही तो है , कहने को तो देश तरक्की कर रहा है , लोग खुश है पर मैं कैसे कह पाऊ की मैं बढ़ती महगाई और बेरोजगारी की बजह से दिन व दिन जरूरतों के बोझ तले दबता जा रहा हूँ !! बिजली के बिल से लेकर घर के राशन पानी तक की कीमते आसमान छू चुकी है , और पगार बढ़ाने के नाम पर दफ्तर में धमकी दी जाती है , नौकरियां कभी भी जा सकती है , काम नहीं है ऑफिस में , इसलिए वही पुरानी पगार पर काम करना मजबूरी बन चुकी है || ऐसे में क्या ही करू ??
मैं बैठा बैठा अपनी परिस्थिति से दो चार हो ही रहा था की , की घर की दरवाजे पर किसी के आने की दस्तक हुई !! बच्चो ने गेट खोल कर देखा तो पिताजी थे !! अपने दादाजी को देख के बच्चे तो खुशी से उछल गए , लेकिन मेरी सांसे तेज हो गयी !! पत्नी ने फिर से मेरी तरफ ऐसे देखा जैसे मानो वो कह रही हो , अपना पेट पालने के लिए तो अपनी आतें और गुर्दे गिरवी रखने के दिन आ गए है , अब ऐसे में पिताजी अकस्मात आये है तो जरूर ही कोई आर्थिक समस्या को लेकर ही आये होंगे !!
मैंने भी नजरे चुराते हुए एक बार मिनाक्षी की ओर देखा , पर कुछ कह पाने की स्थिति में नहीं था , इसलिए जल्दी से उठ के पिताजी के पास गया और नजरे चुराते हुए उनके चरण स्पर्श कर उन्हें बैठने को कहा !!

Bojh Hindi Kahani Story

मिनाक्षी ने भी उन्हें चरणवन्दन किया और खाना खाने के लिए कहते हुए किचन में चली गयी !! अब मैं और भी अकेला महसूस कर रहा था , मिनाक्षी तो मुँह छिपा के किचन में जा चुकी थी , मुझे डर था पापा कही पैसे की कोई बात न कर दे !! इसलिए मैं जल्दी से जल्दी बच्चो को बुला के उनके पास किया और खुद बापस कमरे में चला गया !! पिताजी भी मुझे जाते हुए देख रहे थे !!
मैं किचन में आया तो मिनाक्षी ने कहा ” पिताजी जरूर ही किसी आर्थिक मदद की आस करके आये होंगे !! ऐसे में इन्हे हम ही याद आते है , बड़े बाले भाई साहब को कोई याद नहीं करता , देने के नाम पर उनका नंबर आता है और जब कोई जरूरत हो तो सब लोग हमारे यहाँ आ जाते है !! वैसे तो ये शव्द मिनाक्षी कभी नहीं बोलती पर इस बार उसके घर की तंगहाली इस लेवल पर थी की उसे मरने के लिए अगर जहर खरीदना हो तो उसके लिए भी पैसे का इंतजाम न के बराबर ही था || एक तरह मिनाक्षी लगातार मुझे बोले जा रही थी और दूसरी ओर मैं था जो कुछ पाने में समर्थ नहीं था !! अंततः मैंने मिनाक्षी को चुप रहने के लिए कहा ” तुम शांत हो जाओ , कुछ भी करके कल मैं तुम्हारी दवाई और बच्चो की जरूरत का सामान ला दूंगा .. पर अभी के लिए पिताजी का मान रखो .. उनके सामने घर में कलेश करने का मतलब उनकी मान मर्यादा के खिलाफ है !! “
मिनाक्षी समझदार थी पर उस पर आर्थिक तंगी का बुखार चढ़ा हुआ था इसलिए वो बेकाबू थी !! ” कहाँ से लाओगे ?? भीख मांग के या फिर खुद को गिरवी रख के ?? “

बोझ – हिंदी कहानी | Hindi Story | Stories | कहानियां | Bojh Kahani

” ये मेरा काम है क्या करुगा , क्या नहीं !! तुम बस अभी भगवान के लिए शांत हो जाओ !! ” अब मिनाक्षी शांत हो गयी , वो खाना लेकर टेबल पर लगा देती है !! अब पापा और बच्चों सहित एक साथ खाना खाने लगते है , खाना खाते टाइम पापा ने एकाएक मेरी ओर देखा और पास बैठने को कहा | मेरी सांसे और दिल दोनों ही तेज हो गया , कही पिताजी कोई मांग न कर दे क्युकी मेरे पास अभी देने के नाम पर केबल वक्त ही था , उसके अलावा मैं जुवान भी नहीं दे सकता था ||
पिताजी बोले ” देखो , अभी काम जोर चल रहा है , खेती का काम बहुत है , इसलिए अभी की ही गाडी से बापस जाना पड़ेगा !! मैं यहाँ रुक नहीं सकता हूँ !! तुम्हारी माँ बहुत चिंता कर रही थी , पिछले कुछ महीनो से तुम फ़ोन और बात बहुत कम कर रहे हो , और ऐसा तुम तभी करते हो जब तुम किसी परेशानी में होते हो ? ये तुम्हारी बचपन की आदत है , इसलिए माँ के जोर और मुझे मुन्ना और मुन्नी की याद सता रही थी इसलिए मैं आ गया .. “
यहाँ तक तो ठीक था , अब मैं अवाक बैठा था की अब पापा क्या कहने बाले है , मैंने एक नजर मिनाक्षी को देखा तो वो किचन की चौखट पकडे पापा की आड़ किये हुए खड़ी थी , और पापा आगे क्या कहने बाले है जानने के लिए उत्सुक हो रही थी || लेकिन आगे पापा ने अभी कुछ कहा नहीं बस खाना निपटाया और मुँह हाथ धोये !!

बोझ – हिंदी कहानी | Hindi Story | Stories | कहानियां | Bojh Hindi Kahani

अब पापा ने अपने कुर्ते की जेब में हाथ डाला और एक नोटों की गड्डी निकाली और मेरे ओर बढ़ा दी !! ये देख कर मैं अवाक और सकते में आ गया !! एक पल के लिए मैं स्तब्ध और निःशव्द ही खड़ा रहा !!
पिताजी ने कहा ” अरे पकड़ो भी भाई !! अब इतने बड़े भी नहीं हो गए हो की हमारी दी हुई आशिर्बाद को ग्रहण न कर सको !! , वैसे भी इस बार फसल अच्छी हो गयी थी ! इसलिए कोई दिक्कत नहीं आई , अब उन्होंने मिनाक्षी की ओर इशारा करते हुए कहा ” बहू का और बच्चो का अच्छे से ध्यान रखो , देखो कितनी कमजोर हो रही है .. और अपना भी !! ” उन्होंने पैसे मेरे हाथ में रख दिए !!
मेरी आंखे भर आई थी , और वो बचपन के दिन याद आ गए जब पापा हमे स्कूल जाते वक्त चार आने ऐसे ही हाथ फ़ैलाने पर रख दिया करते थे , पर बस अंतर इतना होता था उस वक्त मेरी आंखे झुकी हुई नहीं बल्कि प्यार और दुलार से ऊँची होती थी !! फिलहाल मिनाक्षी और मैं दोनों ही गलत साबित हो चुके थे !! इसलिए खुद की नजरे खुद से ही नहीं मिल पा रही थी !!
सच में बच्चो के लिए माँ बाप बोझ हो सकते है , पर माँ बाप के लिए बच्चे कभी भी बोझा नहीं होते , वे हमेशा उनका ध्यान रखते है !!

SuccessGyanMantra
WRITTEN BY

SuccessGyanMantra

Unlocking the secrets to Success - A Motivational blog for education, information, news, facts, stories, Hindi Kahaniya.

Leave a Reply

error: Content is protected !!