हिंदी कहानी – मनहूस काली लड़की | Hindi Kahani – Manhoos Kali Ladki | Hindi Story
एक अट्ठाइस साल की बहुत ही बदसूरत और काली लड़की थी, उसके दाँत भी निकले थे, पर उसे अपने रंग और बदसूरती का जरा भी अफ़सोस नही था | हमेशा खुश रहती और एक नंबर की पेटू और पढ़ने लिखने में महाभोंदू भी थी |
पेटू होने की वजह से शरीर भी बेडौल हो गया था | एक खूबी उसमें यह भी थी की जहाँ रहती, हो-हो-हो कर हस्ती मुस्कुराते रहती और सबको भी हँसाते रहती |
उस नेक दिल लड़की का एक शौक भी था |
खाना बनाने का, वह खूब मन से खाना बनाती और बड़े चाव से मसाला पिसती |
खाना बनाने की किताबे खूब ध्यान लगा कर पढ़ती | टीवी रेडियो पे भी पाक कला के प्रोग्राम को बड़े मनोयोग से देखती सुनती |
जब भी उसे कोई खाना बनाना होता तो वह बड़े प्रेम से बनाती | आटा गूँथती, बड़े प्यार से गीत गुनगुनाते हुए कम आँच पे पूड़ियाँ तलती |
सब्जी चटनी खीर हो या मटर पनीर सब कुछ लाजबाब बनाती | जो भी उसके खाने को टेस्ट करता बिना तारीफ किये ना रहता | उसने पाक कला में अद्भुत और असाधारण प्रतिभा हासिल कर ली थी |
हिंदी कहानी – मनहूस काली लड़की | Hindi Kahani – Manhoos Kali Ladki | Hindi Story
पर वह मनहूस थी उसके काले रंग और बदसूरत होने से कोई उसे प्यार न करता था पर माँ उसे बहुत प्यार करती थी | आज तक माँ ने उसे डाँटा तक नही था और वह भी माँ से बहुत प्यार करती थी |
हर बार की तरह इस बार भी आज सुबह उसकी शादी के लिए जो लोग लड़की देखने आये थे उन सबो ने खाने की बहुत तारीफ की लेकिन लड़की को देखकर नाक मुँह सिकोड़कर चले गए |
वह लड़की भी तैयार होकर किसी को बिना कुछ बताये कहीं चली गयी | शाम में जब वो लौटी तो घर का माहौल बहुत गरम था |
हिंदी कहानी – मनहूस काली लड़की | Hindi Kahani – Manhoos Kali Ladki | Hindi Story
पिता जी माँ पे बहुत गुस्सा थे बोल रहे थे पता नही कौन से पाप के बदले ये मनहूस लड़की मिली | पिता से प्रायः यह सुब सुनती थी उससे उसे कोई असर न होता था |
वह बहुत खुश खुश माँ को कुछ बताने गई और कहा ” बड़ी भूख लगी है कुछ खाने को दो पहले” !
उसके हाथों में एक सर्टिफिकेट और एक चेक भी था, पर माँ भी आज बहुत गुस्से में सब्जी काट रही थी उसके तरफ देखे बिना ही बोली “तू सचमुच मनहूस है काश पैदा होते ही मर जाती तो आज ये दिन ना देखना पड़ता |
पचासों रिश्तों आये किसी ने तुझे पसंद न किया ” |
हिंदी कहानी – मनहूस काली लड़की | Hindi Kahani – Manhoos Kali Ladki | Hindi Story
उस मनहूस लड़की को माँ से ऐसी आशा ना थी उसका दिल बैठ गया और उसकी ख़ुशी उड़ गई और उदास होकर माँ से बोली ” मैं सचमुच मनहूस हूँं माँ क्या मैं मर जाऊँ ?” बोलते बोलते उसका गला रुंध गया और चेहरा लाल हो गया |
माँ ने भी गुस्से में कहा “जा मर जा सबको चैन मिले” |
तभी उस मनहूस लड़की ने अपने कमरे में जाकर दरवाजा बंद कर लिया | थोड़ी देर बाद जैसे ही माँ को अपनी गलती का अहसास हुआ वो दौड़ती हुई उसके कमरे के तरफ गयी | आवाज़ देने पर भी दरवाजा जब नही खुला तो माँ ने जोर का धक्का दिया |
तेज धक्के से जैसे ही दरवाज़ा खुला माँ ने देखा सामने दुपट्टे के सहारे जीभ बाहर निकले उस मनहूस काली लड़की की लाश झूल रही थी |
वही पर एक चिट्ठी, सर्टिफिकेट और एक लाख का चेक रखा था |
हिंदी कहानी – मनहूस काली लड़की | Hindi Kahani – Manhoos Kali Ladki | Hindi Story
चिट्ठी में लिखा था” माँ मैंने आज तक तुम्हारा कहना माना है | आज तुमने मरने को बोला ये भी मान रही | अब तुम मनहूस लड़की की माँ नही कहलाओगी |
मैंने पढ़ने की बहुत कोशिश की पर मेरे दिमाग मे कुछ जाता है नहीं, पर भगवान ने मुझे ऐसा बनाया इसमें मेरा क्या कसूर माँ ?😢
मुझे सबने काली मनहूस भोंदू सब कहा, मुझे बुरा न लगा पर तुम्हारे मुँह से सुनकर मुझे बहुत बुरा लगा 😢
मेरी प्यारी माँ और हां आज नेशनल लेवल के खाना बनाने वाली प्रतियोगिता में मुझे फर्स्ट प्राइज और एक लाख रूपए का चेक मिला और साथ में फाइव स्टार होटल में मास्टर शेफ की नौकरी भी |😢
और पता है माँ आज मेरी जिंदगी की सबसे खुशी का दिन था क्योंकि पहली बार वहाँ सबने मुझे कहा था
देखो ये है कितनी भाग्यशाली लड़की है 😢😢😢…
नोट- बेटी है तो कल है | उसका सम्मान करे |
उसे ताकत दे,
उत्साहित करें,
माँ बाप का नाम, देश का नाम रोशन करेगी |